dr.sanjay sharma
Thursday, July 8, 2010
सीढ़ी
उनके लिए है,जिन्हें छत्त तक जाना है,
आसमान पर हो जिनकी नज़र ,उन्हें तो रास्ता खुद ही बनाना है,
चंद बुँदे आसमा से और कुछ तेरे पसीने की ,
फिक्र ना कर ऐ मुसाफीर ,
बारिश तो अभी आना है ,,
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