व्यथा है , एक कथा है , प्रेम की सदा यही प्रथा है,
बीते वर्ष अनेक किन्तु प्रेम बलिदान ने इतिहास रचा है,
प्रीत रीत उस भले मानस की, आज भी प्रेरणा स्रोत ऊँचा है,
कितने राजे आये प्रेम परंपरा ना डिगा पाए ,
कोयल सी इक कूक को , गीदर भभकी से ना डरा पाए ,
कष्ट , पीड़ा की ना सीमा , पर ना कोई इससे मिटा पाए ,
प्रेम दिवस नाम दिया है ,संत ने जीवन दान दिया,
पाठ पढाया , प्रेम बिना ना कोई जीवन,
प्रेम पथ रोड़ा, उस मृत्यु को भी सम्मान दिया,
व्यथा है , एक कथा है , प्रेम की सदा यही प्रथा है,
कभी रूप valentine , कभी जन मानस बयार ,
बहती गंगा मानिंद ये प्रेम ना कभी रुका है !!